शनिवार, 23 मार्च 2013

हज़ारी प्रसाद द्विवेदी और प्रेमचंद

विख्यात हिंदी साहित्यिक मासिक पत्रिका "हँस" के १९३७ के "प्रेमचंद विशेषांक "में प्रेमचंद के निधन के  बाद उनसे जुड़ी हुए सस्मरणों को कई भाषाओँ के साहित्यकारों ,समाजसेवियों,प्रकाशकों आदि ने अपने अपने अपने ढंग से  व्यक्त किया | इसमे सब से अन्तरंग और मार्मिक लेख उनकी पत्नी शिवरानी देवी का है जिस में उन्होंने प्रेमचंद को एक लेखक से ज्यादा एक पति,पिता और आम आदमी के रूप में याद किया हैं .इस लेख  से हमें प्रेमचंद की कई घरेलू बातो.उनके आदतों आदि का पता चलता है

 मै इस लेख को शीघ्र ही यहाँ पर लिखेने वाला हूँ | अभ्यंतर  यहाँ मै हिंदी के मूर्धन्य साहित्य कार और "अनामदास का पोथा" और "बाणभट्ट की आत्मकथा" जैसे कालजयी उपन्यासों के रचियिता  हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के इसी अंक में प्रेमचंद के ऊपर लिखे गए लेख को  प्रस्तुत करता हूँ


"अगर आप उत्तर भारत की समस्त जनता की आचार विचार भाषा भाव,रहन सहन ,आशा आंकाक्षाओ,दुःख सुख और सूझबुझ जानना चाहते हो तो प्रेमचंद से उत्तम परिचायक आपको नहीं मिल सकता ,आप बे खटके  प्रेमचंद का हाथ पकड़ कर ,मेड़ों पर गाते हुए किसानो को ,अन्तःपुर में मान किये हुए प्रियतमा को,कोठे पर बैठी हुई वारवनिता को ,रोटियों के लिए ललकते हुए भिकमंगो ,कूट परामर्श में लीन  गोविन्दी को,इर्ष्या, परोपकार,प्रेम,दुर्बल ह्रदय बैंकरों को ,साहस  परायण चमारिन को,दोगले पंडितो को,फरेबी व्यापारी को,ह्रदयहींन अफसरों को देख सकते हैं और निशित होकर विश्वास कर सकते हैं कि जो कुछ आपने देखा वह गलत नहीं हैं ."

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