पुरानी डायरियों,नोटबुकों में कभी कभी कुछ ऐसी बहुमूल्य अनुभूतियाँ दिखाई दे जाती हैं कि उनका प्रासंगिक होना बहुत अच्छा लगता हैं ....प्रस्तुत हैं मेरी पुरानी नोटबुक मैं १३ अक्टूबर २००६ की एक अभिव्यक्ति
घटनाएँ
पहचानो अपनी घटनाओं को
जो उद्देश्य तक पहुचती हैं
अन्य तो मात्र घटती हैं
नायक बनो उन घटनाओं का
जो नया इतिहास रच सके
सार्थक हैं केवल वे घटनाएं
जो आरम्भ करे नये आयामों का
घटक, घटनाओ के पहचानो
कमी क्या थी ढूंढ निकालो
परिष्कृत संस्करण परिभाषित कर
पुनःवे घटनाएं घट डालो
प्रभाव हर घटना का होता भिन्न
स्त्रोत हो सकता हैं एक उनका
रास्ते घटने के होते हैं विभिन्न
रखो खाता इनके हर पल का
घटनाएँ पसंद करती हैं मूक दर्शक
क्योंकि वे घटने देते हैं बे रोक टोक
महापुरुष ही मोड़ते घटनाओं की दिशा
इतिहास बनाता इन्ही से रोमहर्षक