जनाब मलिक साहब
आपका कहना हैं कि हिंद-पाक को अब अपने माज़ी को भुलाकर आगे बढ़ाना होगा ,बहुत अच्छी बात फरमाई ..मगर आगे बढने के लिए भरोसा भी तो हो कि जिस रकीब को हम हमेशा अपना यार समझते हैं वो अब पीठ में छुरा नहीं उतार देगा.आप कुछ ऐसा कीजिये कि लगे हाँ कि अब वादा खिलाफी नहीं होगी .
२६/११ के मुल्जिमान को कानून के जद में लाकर उन्हें सज़ा दिलवाइए
ताल ठोंक कर कहिये कि दहशतगर्दों के केम्पो का हिंदुस्तान और पाकिस्तान मिलकर सफाया करेंगे
"हिंदुस्तान को पाकिस्तान के कई सियासतदां इसलाह करते आयें है कि हिंदुस्तान बढे भाई जैसा बर्ताव करे..." ज़रूर क्यों नहीं पर छोटे भाई का फ़र्ज़ भी तो अदा कीजिये बड़े भाई की बात मानकर ... आप देखिएगा अमन के रास्ते पर पाकिस्तान अपना पहल कदम जिस दिन रखेगा उस दिन हिंदुस्तान उस कदम को अपने हातों में उठा लेगा बस इक भरोसा देते जाये इस बार आयें है तो ..इसी उम्मीद के साथ मैं दुआ करता हूँ कि हर बार कि तरह ये मुज़ाखरात रस्मी न होकर कुछ हांसिल निकालने वाले साबित हो --आमीन
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