अवचेतन में होने वाली उथल पुथल और वैचारिक ज्वार-भाटे की अभिव्यक्ति..
हमारे चारो और घटनाओं -परिघटनाओं का निरंतर एक क्रम चलता रहता हैं | एक सवेंदनशील जीव होने के नाते हम लोग इनसे जाने अनजाने प्रभावित होते रहते हैं | अभिव्यक्ति की चेतना ही वह अद्भुत नेमत हैं जो हम मनुष्यों को अन्य चराचरों से अलग करती हैं | इस ब्लाग के माध्यम से मेरा यह प्रयास हैं कि मैं अपने चेतन-अवचेतन द्वारा व्यक्त की जाने वाली अनुभूतियों को शब्द दे पाऊं
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